मिर्जापुर :::… कण कण में है ईश्वर
जी मैं बात करने जा रहीं हूँ भरोसे की हम इंसानों पर तो भरोसा कर लेतें हैं। बुरे वक्त में जो किसी चीज़ या वस्तु के बदले मदत करता है। पर हम उस ईश्वर पर भरोसा नहीं करतें। जब बुरा वक़्त आ जाता है। पर ईश्वर फिर भी किसी रूप में आपकी मदत करता हैं । चाहे नर हो नारी हो साधु हो या भिखारी हो , बहुत ही अच्छी बात कहने जा रही हूँ। क़भी माँ के पहलू में बैठना और मन को स्थिर करके सिर्फ़ माँ के लिए ही सोचना और देखना आँखें बन्द करके ईश्वर माँ के चरणों में विराजमान मिलेगा।
माँ में है ईश्वर :::::…. एक कहानी के माध्यम से बताना चाहूँगी पूजा पाठ व्यर्थ नहीं जाता दुःखो का नाश होता है कॉल का विनाश हो जाता है , क्योंकि माँ के चरणों में ही ईश्वर है।
माँ की ममता,ईश्वर की आराधना ::::…. एक बीते हुए वक़्त की बात है एक माँ जो अपने बच्चे से बहुत प्रेम करतीं थी और भगवान में लीन रहतीं थी पर घर के कार्यों में इतनी व्यस्त रहतीं थी कि भगवान की पूजा समय से बैठ कर नहीं करती पर भगवान के भजन के द्वारा भगवान को याद करती थी अचानक पेट मे दर्द होता है और अपेंडिक्स के बारे में पता चलता है और ईश्वर को कोसने लगती है छोटा बच्चा है कौन देख भाल करेगा ऑपरेशन के दौरान पर किसी तरह हो जाता हैं कुछ दस दिन पूरे हुए होंगे कि अचानक खेलते खेलते बच्चा गिर जाता है ,बच्चे की आवाज सुन कर माँ फुर्ती से दौड़ी तो बच्चा बेसुध था ईश्वर को कोशने लगी माँ क्या बिगाड़ा मैंने तो सिर्फ़ आराधना की तेरी भगवान और रोते हुए बच्चे को गोद मे लेकर दौड़ी पैदल आधा किलोमीटर और बच्चे को इलाज़ कराया उस दौरान बच्चा जब आराम की नींद सो रहा था तब माँ ने सोचा अभी मेरा ऑपरेशन का टांका भी हरा है और मै बाल्टी भी नहीं उठा सकती फिर 20 किलो का बच्चा इतनी दूर गोद में कैसे ले आयी और दूसरी ओर ये डॉक्टर सब भी रोज दो बजे ही चले जातें हैं आज 4 बजे तक रुके थे। माँ समझ गयी ईश्वर खुद बचाने नहीं आता न ही खुद बोझ उठाने आता है वह तो माध्यम बनाता है बोझ को हल्का कर देता है। ईश्वर कण कण में है इससे पता चलता है।
अन्नपूर्णा के विचार 🙏🚩💐जय माता दी